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बुधवार, 4 अप्रैल 2012

स्टैचू

क्रंक्रीट के जगंल में

क्या सोचे कोई

धुआँ,प्रदूषित मानसिकता

एक्वेरियम में लहराता दरिया

ईडियट बाक्स के सामने आदमी

ईडियट बाक्स के अन्दर आदमी

एलबम में सजा आदमी

बुकशेल्फ में रखा आदमी

आदमी को लिखता आदमी

आदमी को मिटाता आदमी

उस शून्य को पाने की चाह में

भोतिकता की दोङ में कृत्रिम होता आदमी

मानवता के नाम पर…

स्टैचू बनता आदमी…।

- आदिल

शुक्रवार, 30 मार्च 2012

रवि - चोदहवीं का चाँद हो या आफ़ताब हो


७ मार्च को हिंदी फ़िल्मों के शीर्ष संगीतकारों में से एक संगीतकार रवि का ८६ वर्ष की उम्र में निधन हो गया , रवि का जन्म दिल्ली में ३ मार्च १९२६ को हुआ था रवि १९५० को बंबई आ गये और हेमंत कुमार के सहायक बन गये, रवि बंबई गायक बनने के लिये आये थे लेकिन मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ की जादुगरी आगे उन्होने अपना गायक बनने का ख्वाब छोड दिया और संगीत के प्रति सम्रपित हो गये, रवि का स्टेज का नाम बंबई रवि थारवि को घराना[१९६२] खानदान[१९६५] के संगीत के लिये फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड मिला, रवि के स्वर्बध किये गीतों मे रफ़ी को- चोदहवी का चाँद हो [चोदहवी का चाँद १९६१ ]छू लेने दो नाज़ुक होंटों को [काजल १९६५ ]महेंद्र कपूर- चलो एक बार फ़िर से [गुमराह १९६४ ] नीले गगन के तले [हमराज़ १९६८ ] को फ़िलमफ़ेयर दिया गया ,रवि ने अपने पसंदीदा गायक रफ़ी साहब से 230 से भी अधिक गीत गवाए जिसमें से 136 एकल गीत 94 युग्ल गीत हैं ,जिस में से सर्वाधिक 73 युगल गीत मोहम्मद रफ़ी आशा भोंसले ने गाये हैं मोहम्मद रफ़ी- लता मंगेश्कर ने मात्र 5 युगल गीत ही रवि के संगीत निर्देशन मे गाये हैं
संगीतकार रवि के फ़िल्मी जीवन पर एक नज़र........
हिन्दी फ़िल्म-९४
कुल गीत - ६६४
आशा भोंसले-३०९ गीत[ १७५ एकल गीत १३४ युगल गीत]
मुहम्मद रफ़ी-२२६ गीत[१३२ एकल गीत ९४ युगल गीत]
लता -७७ गीत[५९ एकल गीत १८ युगल गीत]
मुकेश -१४ गीत[८ एकल ६ युगल गीत]
किशोर कुमार-१७ गीत[१० एकल गीत ७ युगल गीत]
महेन्द्र कपूर-६५गीत[३३ एकल गीत ३२युगल गीत]
मन्ना डे-२५गीत[१२ एकल गीत १३ युगल गीत]
हेमंत कुमार-१६ गीत[९ एकल गीत ७ युगल गीत]
तलत महमूद-३ गीत[२ एकल गीत १ युगल गीत]
शमशाद बेगम-३ गीत[२ एकल गीत १ युगल गीत]
गीता दत्त-६ गीत[२ एकल गीत ४ युगल गीत]
सुमन कल्याणपुर-६ गीत[३ एकल गीत ३ युगल गीत]
ऊषा मंगेश्कर-१३ गीत[१ एकल गीत १२ युगल गीत]
इस के अतिरिक्त आरती मुखर्जी,ऊषा खन्ना,मीनू पुरुषोत्तम,कमल बारोत,सलमा आगा,सुधा मलहोत्रा,सुलक्ष्णा पंडित,बलबीर,सुब्बालक्ष्मी,गुलाम अली,अनुराधा पोड्वाल ने भी कुछ गीत गाए हैं
रवि ने फ़िल्म ,एक फूल दो माली ,उम्मीद,धड्कन, पडोसी,उस्तादों के उस्ताद में पार्श्व गायन किया है
रवि द्वारा संगीतबध फ़िल्में हैं-
वचन[१९५५] एक साल[१९५५] प्रभु की माया[१९५५] नरसी भगत[१९५७] दिल्ली का ठग[१९५८]मेंह्दी[१९५८]
घर संसार[१९५८] दुल्हन[१९५८] देवर भाभी[१९५८] चिराग कहाँ रोशनी कहाँ[१९५९] नई राहें[१९५९]
पहली रात[१९५९] जवानी की हवा[१९५९] नई माँ[१९६०] ट्रंक काल[१९६०] अपना घर[१९६०] चोहदवी का चाँद[१९६०] घूंघट[१९६०] तू नही और सही[१९६०] माडर्न गर्ल[१९६१] नज़राना[१९६१]
प्यार का सागर[१९६१] वांटेड[१९६१] सलाम मेमसाब[१९६१] गर्ल होस्टल[१९६१] चाइना टाउन[१९६२]
राखी[१९६२] टावर हाउस[१९६२] बांबे का चोर[१९६२] अपना बना के देखो[१९६२] आज और कल[१९६३]
प्यार का बंधन[१९६३] गुमराह[१९६३] नर्तकी[१९६३] उस्तादों के उस्ताद[१९६३]
ये रास्ते हैं प्यार के[१९६३] भरोसा[१९६३] मुल्ज़िम[१९६३]
प्यार किया तो डरना क्या[१९६३] ग्रह्स्थी[१९६३] कौन अपना कौन पराया[१९६३] गहरा दाग[१९६३]
दूर की आवाज़[१९६४] शहनाई[१९६४] काजल[१९६५] खानदान[१९६५] वक्त[१९६५] बहु-बेटी[१९६५]
दो बदन[१९६६] दस लाख[१९६६] फूल और पत्थर[१९६६] सगाई[१९६६] ज़िन्दगी कितनी हसीन है[१९६६]
औरत[१९६७] हमराज़[१९६७] मेहरबान[१९६७] नई रोशनी[१९६७] आँखे[१९६८] दो कलियाँ[१९६८]
गौरी[१९६८] मन का मीत[१९६८] नील कमल[१९६८] पैसा या प्यार[१९६९] आदमी और इन्सान[१९६९]
अनमोल मोती[१९६९] बडी दीदी[१९६९] डोली[१९६९] एक फूल दो माली[१९६९] समाज को बदल डालो[१९७०]
मेहमान[१९७०] उम्मीद[१९७१]गंगा तेरा पानी अम्रत[१९७१] चिंगारी[१९७१] पडोसी[१९७१]
बाबुल की गलियाँ[१९७२] धड्कन[१९७२] धुंध[१९७२] सोने के हाथ[१९७३] घटना[१९७४] वंदना[१९७५]
मेरे सरताज[१९७५] एक महल हो सपनों का[१९७५] आदमी सडक का[१९७७] प्रेमिका[१९७७] जोगी[१९७८]
सांझ की बेला[१९८०] निकाह[१९८२] तवायफ़[१९८४] आज की आवाज़[१९८४] ये प्रीत ना होगी कम[१९८५]
निगाहे[१९८६] घर का सुख[१९८७] अवाम[१९८७] एक अलग मौसम[२००३].,

इस के अलावा रवि की फ़िल्मे-चोह्दवी का चाँद[१९६१]दो बदन[१९६७] हमराज़[१९६८] आंखे[१९६९] को इन वर्षों मे फ़िल्मफ़येर के लिये नामित किया गया था
संगीतकार रवि ने एक से एक यादगार गीत दिये हैं जिस मे से कुछ हैं-चौह्दवी का चांद हो,भरी दुनिया में आखिर,रहा गर्दिशों मे हरदम,नसीब मे जिस के जो लिखा था,हुस्न से चांद भी शर्माया है,राज़े दिल उन से छिपाया ना गया,इस भरी दुनिया में कोइ भी हमारा ना हुआ-गायक रफ़ी,
तुम्ही मेरे मंदिर ,हज़ार बातें कहे ज़माना,वो दिल कहां से लाउ,लो आ गयी उन की याद,ए मेरे दिल ए नादान तु गम से ना घबराना,गेरो पे करम- गायिका लता,
इस तरह तोडा मेरा दिल,मुझे गले से लगा लो,तोरा मन दर्पण कह लाऊं,आगे भी जाने ना तू,कौन आया की निगाहो मे,जब चली ठंडी हवा,सुन ले पुकार,सैया ले गयी जिया,सजना सजना ओ सजना-गायिका आशा
चलो एक बार फ़िर से,आप आये तो ख्याले,नीले गगन के तले, तुम अगर साथ देने का,किसी पत्थर की मूरत से-गायक महेन्द्र कपूर,
ए मेरी ज़ोहराजबी-गायक मन्ना डे,
वफ़ा जिन से की बेवफ़ा हो गये,एक ये भी दिवाली है-गायक मुकेश,
संगीतकार रवि, आशा भोंसले, मो० रफ़ी की तिकडी ने एक से एक बढिया गीत दिये हैं जैसे- ये खामोशियां ये तन्हाईया, तुम्हे पाके हम ने जहां पा लिया है,गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा,ये पर्दा हटा दो,ना ये ज़मीं थी ना आसमां था,नील गगन के उड्ते बादल आ आ,सजना साथ निभाना...


शनिवार, 30 जुलाई 2011

रफ़ी साहब के तो सभी गीत पसंद हैं -मोहम्मद अज़ीज़



मार्च २०१० में नोएडा के मारवाह स्टुडियो में ऐक सीरियल की शूटिंग के दोरान लेखक का सुप्रसिद्ध पार्श्व्गायक मोहम्मद अज़ीज़ से मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ.......
अज़ीज़ भाई आप को गाने का शौक कैसे हुआ ?

मौ० अज़ीज़ - मुझे बचपन से ही गाने का शौक था रफ़ी साहब का प्रशंसक था स्कूल-कालेज के फ़ंक्शन मे भाग लेता था ...

आदिल -अज़ीज़ भाई आप ने बहुत से उम्दा गीत गाये है किसी भी गीत की प्रशंसा के लायक मेरे पास शब्द नहीं हैं मगर फिर भी आप को अपने गाये गीतों में से कौन से गीत पसंद हैं ?

मौ० अज़ीज़ -मुझे अपने गाये गीतों मे -दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है पसंद है


आदिल-रफ़ी साहब के गाये गीतों में से कौन -कौन से गीत आप को पसंद हैं ?

मौ० अज़ीज़ -रफ़ी साहब के किस-किस गीत की मै तारीफ़ करूं रफ़ी साहब के तो सभी गीत ऐक से बढकर ऐक हैं लाजवाब हैं रफ़ी साहब के सभी गीत मुझे पसंद हैं

आदिल-लता जी को भारत रतन से विभूषित किया गया है मगर रफ़ी साहब को नहीं इस के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे ?

मौ० अज़ीज़- ये सब तो राजनीति है किसी पुरस्कार या सम्मान से कलाकार छोटा या बड़ा नहीं होता है.


आदिल- शब्बीर कुमार का कहना है कि रफ़ी साहब की कब्र में उन की घड़ी गिर गयी थी रफ़ी साहब का आशिर्वाद उन के साथ है?

मौ० अज़ीज़-ये सब तो कोरी अफ़वाह है बकवास है. इतना मगर कह सकता हूं रफ़ी साहब कोई भगवान तो थे नहीं आखिर थे तो इन्सान ही, गीतों के बेताज बाद्शाह थे शब्बीर कुमार ऐसी बातें कर के चर्चा में रहना चाहता है /

शुक्रवार, 3 जून 2011

यादे -रेडियो की

भूले-बिसरे गीत जयमाला बिनाका गीतमाला ऐसे बहुत से कार्यक्रम रेडियो सिलोन विविध भारती से प्रसारित होते थे बहुत चाव लगा कर पूरी महफ़िल सजा कर सुने जाते थे मेरे बड़े भाई को सुबह ७ बजे रेडियो सिलोन का भूले बिसरे गीत बहुत पसंद था उन दिनो मॅ कक्षा दो या तीन मे था हमारे पास फिलिप्स का ३बॅन्ड एसी वाल्व टाइप रेडियो था ऐक बार शाम के समय रेडियो पर ये गीत बज रहा था...तू प्यार का सागर है इस गीत के बोल दूर दूर तक हवा में पेंडॉ से टकरा कर गूँज़ रहे थे बहुत दूर से रडियो की आवाज़ आने लगती थी क्योंकि उन दिनो स्कूटर कार मशीने ना के बराबर थी ये गीत हमारे पिताजी को भी पसंद था पिताजी को तो गुज़्ररे हुऐ २२ वर्ष हो चुके है मगर इस गीत से उन की यादे ताज़ा हो जाती है../

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

अनन्त

जन्म की सीमा नही
उम्र की सीमा नही
वो मुझसे कहते ठहर जाओ
मै सोचता मेरी कोई सीमा नही
पत्ते झरते
पतझर आता
फूल खिलते
वसंत आता
ना मै झरता हूँ
ना मै खिलता हूँ
जैसे कोई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करता
मै सोचता मेरी कोई सीमा नही......

रविवार, 19 दिसंबर 2010

गिध्द

मेरी माँ कह्ती थी
मेरा बाप बड़ा ज़ालिम था
वो शायद सच कह्ती थी
हमेशा गुर्राना
बात-बात पर डांट्ना
हां ये तो मुझे याद हॅ
वो अपने दोस्तों के साथ
बॅठ्क में बॅठा चिलम पीता
लच्छेदार बाते करता
ज़ोरदार कह्कहे लगाता
चाय के लिये कड़क आवाज़ लगाता...
कभी-कभी वो शिकार पर जाता
माँ के जिस्म का गोश्त नोच कर दावत उड़ाता
असहाय सी माँ आंसू बहाती
और मॅ उसका वंशज हूं
यही रीत फिर से दोहरांऊंगा
शायद यही हॅ नियति..


शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

फिर सोच रहा हूँ सतह पर
फिर देख रहा हूँ क्षितिज पर
फिर सुन रहा हूँ प्रक्रति को
फिर शब्द आकार ले रहे है
शोचा तो अतीत
देखा तो प्रीत
सुना तो गीत
बोला तो मीत