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शनिवार, 3 जनवरी 2009

संयुक्त राष्ट्र...से क्या लाभ

कहाँ है संयुक्त राष्ट्र , जो कि बेकसूर फिलिसतीनियों के नरसंहार के लिये आक्रामक इस्राइल को कडा सबक सिखाने का साहस नहीं कर पाता उसे तो केवल इराक , अफगानिस्तान व ... ही दिखते हैं जो कि बेकसूर इराकीयों पर विशव के 28 देशों के साथ मिलकर हमला करते है संयुक्त राष्ट्र मोन है... ऐसे संयुक्त राष्ट्र का क्या लाभ

4 टिप्‍पणियां:

Amit Kumar Yadav ने कहा…

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

BESHAK........

बेनामी ने कहा…

दूर देश के मुसल्लिमों के लिए आंखों में तुम्हारे अक्सर नज़र आ जाते हैं आँसू मियां.... इतनी संवेदनशीलता तुम्हारे मन में औरों के लिए क्यों नहीं है... क्या तुम नहीं जानते के अगर मुसल्लम धर्म दूर दूर पंहुचा है तो इसकी वजह यह नहीं की वो दुनिया भर का धर्म है.... वजह यह है की तुम लोग अपना घर अपनी मिट्टी छोड़कर दुनिया पर अपना धर्म थोपने निकल पड़े थे. और क्रूरता से थोपा भी... ऐसा ही ईसाइयों ने किया पर उन्होंने इसके लिए विचार बदले.... ना के तुम्हारे तरह कत्ले आम किया.... तुम्हारी सोच पहले से ही संकीर्ण और अपने घमंड में मस्त रही है, दूसरों की इत्ज़त करनी तुम्हे आती ही नहीं.... हम तुम्हारे अस्तित्व को नहीं नकारते ना नकार सकते हैं तो तुम क्यों चाहते हो हमारा वजूद उस चूतिये के लिए लहूलुहान करना जिसने ना हमें कुछ दिया है ना तुम्हे.... ये सब क्या ढोंग है मिया, इस्राईल की मिट्टी पर पहले मुसलमाओं ने वार किया उसपर अपना धार्मिक झंडा फहराना चाहा. तब बेचारे तो वो थे उनहोंने तीन बार मुकाबला किया और आख़िर वो जीत गए और अपनी मिट्टी को वापस आजाद करा लिया, तो अब ये मलाल क्यों, वो अपनी जगह खुश हैं दुनिया अपनी जगह खुश है... तो तुम्हारी कॉम को क्यों खुजली चलती है तुम हमें क्या राक्षस समझते हो... जो जहाँ तहां तुम्हारी कॉम पर बम पटाखे फेंकते रहते हैं.... जो असल में तुम्हारे कट्टर पैगम्बरी ठेकेदार किया करते हैं.... तुमने दुनिया भर में राज फैलाने की कोशिश की मन्दिर तोडे ताकत की दम पर यहाँ के सरपरस्त बने.... हम उन यादों को मन में शूल की तरह सँजोकर नहीं रखते जो तुमने किया हम भूल जन चाहते हैं... पर जब अंग्रेजों ने तुम्हारी ही तरह दुनिया को कब्जे में किया तो हाथ से सत्ता जाती देख कर तुम्हारी जतें उलझ रही हैं अपने बच्चों को कहते फ़िर रहे हो इन्होने तुमपर अत्याचार किया है.... अबे तुम यहाँ आए हमारे मंदिरों पर मस्जिदें बनें अब हमने उनमें से एक हटा दी तो तुम्हारी जते जल रही हैं... तुम एक मरो तो वो तुम्हारी ताकत है पर जब हम पलटकर तुम्हे जवाब देन और एक मार गिराएँ तो तुमपर अत्याचार हो गया वो भी यहाँ नहीं दुनिया भर में.. सालों चूल्हे में जाओ पूरी कॉम समेत धरती को बख्श दो. चले जाओ तुम्हारे अल्ला की जन्नत में हमें क्या... पर हमें आँखें ना दिखाना... noch लेंगे...

बेनामी ने कहा…

दूर देश के मुसल्लिमों के लिए आंखों में तुम्हारे अक्सर नज़र आ जाते हैं आँसू मियां.... इतनी संवेदनशीलता तुम्हारे मन में औरों के लिए क्यों नहीं है... क्या तुम नहीं जानते के अगर मुसल्लम धर्म दूर दूर पंहुचा है तो इसकी वजह यह नहीं की वो दुनिया भर का धर्म है.... वजह यह है की तुम लोग अपना घर अपनी मिट्टी छोड़कर दुनिया पर अपना धर्म थोपने निकल पड़े थे. और क्रूरता से थोपा भी... ऐसा ही ईसाइयों ने किया पर उन्होंने इसके लिए विचार बदले.... ना के तुम्हारे तरह कत्ले आम किया.... तुम्हारी सोच पहले से ही संकीर्ण और अपने घमंड में मस्त रही है, दूसरों की इत्ज़त करनी तुम्हे आती ही नहीं.... हम तुम्हारे अस्तित्व को नहीं नकारते ना नकार सकते हैं तो तुम क्यों चाहते हो हमारा वजूद उस चूतिये के लिए लहूलुहान करना जिसने ना हमें कुछ दिया है ना तुम्हे.... ये सब क्या ढोंग है मिया, इस्राईल की मिट्टी पर पहले मुसलमाओं ने वार किया उसपर अपना धार्मिक झंडा फहराया. उनके धर्म उनकी आस्था को तुमने तार तार किया, बेचारे तो वो थे जिन्होंने तीन बार मुकाबला किया और आख़िर को वापस छीन ली अपनी मिट्टी और आजाद हो गए... तो अब ये मलाल क्यों, वो अपनी जगह खुश हैं दुनिया अपनी जगह खुश है... तो तुम्हारी कॉम को क्यों खुजली चलती है तुम उन्हें-हमें क्या राक्षस समझते हो... जो जहाँ तहां तुम्हारी कॉम पर बम पटाखे फेंकते रहते हैं.... जो असल में तुम्हारे कट्टर पैगम्बरी ठेकेदार किया करते हैं.... तुमने दुनिया भर में राज फैलाने की कोशिश की मन्दिर तोडे, अपनी ताकत के दम पर यहाँ के सरपरस्त बने.... हम उन यादों को मन में शूल की तरह घुसेड़ कर नहीं रखते वरना तुमसे ज़्यादा आतंकवादी हम भी पैदा कर सकते हैं... लेकिन हम वो सब भूल जाना चाहते हैं जो भी तुमने किया हम भूल जाना चाहते हैं के तुमने हमारी आस्था की कितनी निशानियाँ कुचलकर बरबाद कर दी.... ... पर जब अंग्रेजों ने जैसे को तैसा दिया, तुम्हारी ही तरह दुनिया को कब्जे में किया तो हाथ से सत्ता जाती देख कर तुम्हारे सीने पर पर सौंप लौटने लगे.... अपने बच्चों को कितनी बेशर्मी से कहते फ़िर रहे हो की दुनिया ने तुम पर अत्याचार किया है याने के सो चूहे खाकर बिल्ली हज को जा रही है..... अबे तुम यहाँ आए अपनी ताकत के दम पर हमारे मंदिरों के ऊपर मस्जिदें बनाईं, अब हमने उनमें से एक हटा दी तो तुम्हारी जल रही हैं... इस्राइल पर इल्सम के नाम पर इतने सालों से हमास हमले करता आ रहा है, लेकिन जब उन्होंने पलट कर ताक़तवर जवाब दिया तो फ़िर तुम्हारे सीने पर सांप लौटने लगे.. तुम एक मारो तो वो तुम्हारी ताकत है पर जब हम पलटकर जवाब दें और तुम्हारा भी एक मार गिराएँ तो तुमपर अत्याचार हो गया, वो भी यहाँ नहीं दुनिया भर में.. सालों चूल्हे में जाओ पूरी कॉम समेत धरती को बख्श दो. चले जाओ तुम्हारे अल्ला की जन्नत में हमें क्या... पर हमें आँखें ना दिखाना... नोच लेंगे... कमीनों दुनिया मोटी की तरह बिखरी हुई थी सुंदर सुंदर अबोध सी न्यारी अपनी अपनी संस्कृतियों से रंगीन थी ये धरती.... पर तुमसे और तुम्हारे अल्ला से देखा नहीं गया उन मोटी रूपी सभ्यताओं को अपने रंग में रंग डाला..... हर जगह कट्टरवाद बईमानी कमीनापन फैला दिया अपनी गंदी सोच को अपने रेगिस्तान में ही संभल कर रखते हमें उसकी ज़रूरत नहीं थी.... तुमने हमारी संस्क्रती को भी बरबाद कर दिया.... और घडियाली आसूं बहा रहे हो. पहले जो किया सो छोडो अब तो दुनिया को चैन से जीने दो कमीनों .....