पहले आदमी -आदमी था
वो हँसता था रोता था किसी के लिऐ
उस में संवेदना थी
दूसरे के लिऐ वेदना थी
आज आदमी- आदमी नहीं
वो हँसता नहीं
रोता नहीं किसी के लिऐ
वो संवेदनहीन है
पत्थर का स्टैचू है
कंप्युटर से दिमाग चलता है
स्वार्थ के लिऐ आंकङे फिट रखता है
आज आदमी- आदमी नहीं
शायद.... रोबोट है