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गुरुवार, 6 नवंबर 2008

लावा

मेरे भीतर



धधक रहा है एक ज्वालामुखी



विद्रोह



लोभ



क्रोध

हैवानियत

का



जिस से लावा फूट निकलेगा....



पाषाणीय सभ्यता से



शवेत-अशवेत क्लोन तक



धुंध फैल जायेगी फिर स्वार्थो तक



बह जायेंगे .........



आदर्श



दया



धर्म



लुप्त हो जायेंगे डायनासोर



फिर जीवित हों उठेंगे



चंगेज खाँ -हिटलर



-आदिल फारसी





गजल


गुलदानों में फिर फूल खिलें हैं
बरसों में वो फिर आज मिले हैं
कहना तो था उन से सब कुछ
उन के भी कुछ शिकवे गिले हैं
सच तो दिल में छिपा हुआ है
फिर भी मेरे होंठ सिले हैं
कान लगाऔ सुन कर देखो
खामोशी के भी होंठ हिले हैं
बरसो बीते जुदा हुऐ
जब भी सोचा अभी मिले हैं
-आदिलफारसी

मंगलवार, 4 नवंबर 2008

हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है....

असोम में हिन्दीभाषियों की हत्या महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर कहर असोम में बम विस्फोट दिल्ली में बम विसफोट...अलपसंख्यक की बात बहुसंख्यक की बात सवर्ण-दलित की राजनीति...बस बहुत हो चुका है इन राजनीतिक दलों को अपनी अपनी पडी है देश की चिंता नहीं... वो दिन कब आयेगा जब हम मिलकर कहेंगे कि हम कशमीरी, मराठी, असमी, बंगाली नहीं हम हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई नहीं पहले हम भारतवासी हैं...

सिगरेट पीजिये.. नो प्राब्लम

जी हाँ । अब आप भी सिगरेट का कश ले सकते हैं जो आप को हानि नही लाभ देती है अहमदाबाद की ऐक कम्पनी ने निर्दोष नाम से हर्बल सिगरेट बनायी है जिस में तुलसी,हलदी,लोंग,मुलैठी,अजवायन,गूगल,तामलपत्र,पान की जड,सुगंधवाला,यषटमधु का प्रयोग किया गया है