
धधक रहा है एक ज्वालामुखी
विद्रोह
लोभ
क्रोध
हैवानियत
का
जिस से लावा फूट निकलेगा....
पाषाणीय सभ्यता से
शवेत-अशवेत क्लोन तक
धुंध फैल जायेगी फिर स्वार्थो तक
बह जायेंगे .........
आदर्श
दया
धर्म
लुप्त हो जायेंगे डायनासोर
फिर जीवित हों उठेंगे
चंगेज खाँ -हिटलर
-आदिल फारसी