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बुधवार, 4 अप्रैल 2012

स्टैचू

क्रंक्रीट के जगंल में

क्या सोचे कोई

धुआँ,प्रदूषित मानसिकता

एक्वेरियम में लहराता दरिया

ईडियट बाक्स के सामने आदमी

ईडियट बाक्स के अन्दर आदमी

एलबम में सजा आदमी

बुकशेल्फ में रखा आदमी

आदमी को लिखता आदमी

आदमी को मिटाता आदमी

उस शून्य को पाने की चाह में

भोतिकता की दोङ में कृत्रिम होता आदमी

मानवता के नाम पर…

स्टैचू बनता आदमी…।

- आदिल

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