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सोमवार, 6 अप्रैल 2009

जीवन...


सफर एक गुलिस्ताँ का

काटों फूलो के साथ

गर घायल दिल भी है

तो फूल बिखरे हैं जिस्म-जिस्म

मुझ से मत पूछो अब कुछ

कैसे बीता ये जीवन

वो कहता है अच्छा

मैं कहता हूँ बस ठीक

ना शिकायत तुझ से

ना शिकवा किसी से कोई....।