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शनिवार, 30 जुलाई 2011

रफ़ी साहब के तो सभी गीत पसंद हैं -मोहम्मद अज़ीज़



मार्च २०१० में नोएडा के मारवाह स्टुडियो में ऐक सीरियल की शूटिंग के दोरान लेखक का सुप्रसिद्ध पार्श्व्गायक मोहम्मद अज़ीज़ से मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ.......
अज़ीज़ भाई आप को गाने का शौक कैसे हुआ ?

मौ० अज़ीज़ - मुझे बचपन से ही गाने का शौक था रफ़ी साहब का प्रशंसक था स्कूल-कालेज के फ़ंक्शन मे भाग लेता था ...

आदिल -अज़ीज़ भाई आप ने बहुत से उम्दा गीत गाये है किसी भी गीत की प्रशंसा के लायक मेरे पास शब्द नहीं हैं मगर फिर भी आप को अपने गाये गीतों में से कौन से गीत पसंद हैं ?

मौ० अज़ीज़ -मुझे अपने गाये गीतों मे -दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है पसंद है


आदिल-रफ़ी साहब के गाये गीतों में से कौन -कौन से गीत आप को पसंद हैं ?

मौ० अज़ीज़ -रफ़ी साहब के किस-किस गीत की मै तारीफ़ करूं रफ़ी साहब के तो सभी गीत ऐक से बढकर ऐक हैं लाजवाब हैं रफ़ी साहब के सभी गीत मुझे पसंद हैं

आदिल-लता जी को भारत रतन से विभूषित किया गया है मगर रफ़ी साहब को नहीं इस के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे ?

मौ० अज़ीज़- ये सब तो राजनीति है किसी पुरस्कार या सम्मान से कलाकार छोटा या बड़ा नहीं होता है.


आदिल- शब्बीर कुमार का कहना है कि रफ़ी साहब की कब्र में उन की घड़ी गिर गयी थी रफ़ी साहब का आशिर्वाद उन के साथ है?

मौ० अज़ीज़-ये सब तो कोरी अफ़वाह है बकवास है. इतना मगर कह सकता हूं रफ़ी साहब कोई भगवान तो थे नहीं आखिर थे तो इन्सान ही, गीतों के बेताज बाद्शाह थे शब्बीर कुमार ऐसी बातें कर के चर्चा में रहना चाहता है /

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