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गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

अस्तित्व


इन ज़ड़ो मे खोजो मुझे
इन घड़ो मे खोजो मुझे
इन दरो-दीवारो मे
रास्ते के शह्सवारो मे
खोजो मुझे
ज़मीनो-ओ-आसमानो मे
अनकही दास्तानो मे
खोजो मुझे
क्या कभी मै था
या तुम थे
जैसे दरीया का पानी

2 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

सुन्दर रचना.

vandana gupta ने कहा…

कभी मै था या तुम थे जैसे दरीया का पानी
बिल्कुल सही …………अस्तित्व की खोज मे मै और तुम नही होता।