पहले आदमी -आदमी था
वो हँसता था रोता था किसी के लिऐ
उस में संवेदना थी
दूसरे के लिऐ वेदना थी
आज आदमी- आदमी नहीं
वो हँसता नहीं
रोता नहीं किसी के लिऐ
वो संवेदनहीन है
पत्थर का स्टैचू है
कंप्युटर से दिमाग चलता है
स्वार्थ के लिऐ आंकङे फिट रखता है
आज आदमी- आदमी नहीं
शायद.... रोबोट है
2 टिप्पणियां:
आज भी आदमी आदमी है कुछ लोगो को अगर छोड़ दे तो
aapki kavita main kuch baat hai jo auro se alag hai.dr.ajay janmejay
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