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सोमवार, 10 नवंबर 2008

फतवेबाजी के युग में


आजकल मुसलिम विद्वान फतवा देने को आतुर रहते हैं जैसे अभी हाल ही में डा0 जाकिर नाइक पर लखनऊ में मोलाना फिरंगी महली ने डा0 जाकिर नाइक पर पैगंबर मुहम्मद की शान में गुसताखी के लिऐ फतवा दे दिया, शायद फिरंगी महली ये भूल गये हैं कि डा0 जाकिर नाइक ने इसलाम की कितनी सेवा की है डा0 जाकिर नाइक का दोष केवल इतना सा है कि नाइक ने यजीद को यजीद रहमतुल्लाअलै बता दिया था इस पर मुसलिम विद्वानों को भडकने की जगह पर डा0 जाकिर नाइक को अपनी गलती सुधार ने को कहना चाहिये था तिस पर ये उलेमा जालिमपन व संकीर्णता फैलाते हैं समाज में ,ऐसे उलेमाऔ को कोई अधिकार नहीं होना चाहिये फतवे देने का । मुसलिम समाज पहले से ही कुख्यात है अपनी दकियानूसी विचारधारा के लिऐ,बस अब बहुत हो गया अब और आग में घी ना डालो । प्रेम और भईचारे का संदेश देकर समाज को जोडने का काम करना चाहिये तोडने का नहीं ।
यहँ ये भी उललेखनीय है कि डा0 जाकिर नाइक( पीस ) नाम से ऐक इसलामी चैनल चलाते हैं

2 टिप्‍पणियां:

Arvind Gaurav ने कहा…

achhi jankari mili... likhte rahe aur apne naye post ke baare me italla karte rahe.

talib د عا ؤ ں کا طا لب ने कहा…

khoob!ashaallah