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मंगलवार, 21 अक्तूबर 2008

मोल...अनमोल

माँ की ममता,बहन भाई का प्र्यार...क्र्या इन रिशतों का कोई मोल है....आज के इनसान को देख कर धुटन महसूस होती है,आज के इनसान का कोई उददेशय नहीं धनलोलुपता के आगे................किराये की कोख,जिँदा गोशत..इस से भी दस कदम आगे है...लिव इन रिलेशनशिप

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