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सुविख्यात बालकवि डा0 अजय जनमेजय का लोरी व प्रभाती गीत संग्रह - निंदिया सबसे प्यारी तू -अविचल प्रकाशन,बिजनौर से 18 फरवरी 2009 को प्रकाशित हो गया है इस संग्रह में 44 लोरियाँ व 20 प्रभाती गीत संग्रहीत हैं पुस्तक में सुदर लोरी व गीतों के साथ सुंदर चित्रांकन हरिपाल त्यागी व आवरण शकील बिजनौरी का है पुस्तक के पेपर बैक संसकरण का मूल्य -165 रू0 है
पुसतक की एक लोरी की बानगी देखिये...निंदिया तोरे, करूँ निहोरे
अब आ भी जा,अब आ भी जा
झम्मक झइयाँ झम्मक झइयाँ ।
मुन्ना रोए, पलके भारी
सोना चाहे तू आ जा री
आते-आते रूक मत जाना
ठइयाँ ठइय़ाँ ठइयाँ ठइय़ाँ ।
बनकर शीतल झोंका तू आ
खुशबू सारे उपवन की ला,
धीरे-धीरे आहिस्ता से
पइयाँ पइय़ाँ पइय़ाँ पइय़ाँ ।
जागेगा तब कुछ ठुनकेगा
गोदी को मेरी मचलेगा,
आकर गोदी में नाचेगा ।
छम्मक छइयाँ छम्मक छइयाँ ।
1 टिप्पणी:
Lori sahitya ki ek upekshit si vidha rahi hai.Aise me is disha me koi bhi prayaas sarahniya hai.
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